माँ की पनाह में पलता है हर मासूम का बचपन। माँ की पनाह में पलता है हर मासूम का बचपन।
जो खत, देह, सबूत सब को मिटते देख अमर रह जाती है अग्नि से मिलने के बावजूद भी। जो खत, देह, सबूत सब को मिटते देख अमर रह जाती है अग्नि से मिलने के बावजूद भी।
हलकी सी वो बारिश की बूंदें तुम अपने साथ ले आना.. हलकी सी वो बारिश की बूंदें तुम अपने साथ ले आना..