हिन्द के रक्षक
हिन्द के रक्षक
हिंद के रक्षक वीर सिपाही,
देते हैं बलिदान।
तन पे माँ का आँच न आये,
हमको है अभिमान
शत्रु दलन हम सदा ही करते,
साक्षी है इतिहास।
पाक हमेशा हारा हमसे,
करता निज परिहास।
दाँत शेर के हम गिनते हैं,
ये अपनी पहचान।
तन पे माँ का आँच न आये,
हमको है अभिमान।।
हिंद के रक्षक वीर सिपाही,
देते हैं बलिदान।
तन पे माँ का आँच न आये,
हमको है अभिमान।।
हिन्दी-चीनी भाई कहकर,
तुझे दिया था फूल।
सुन!हिंद नही ये बासठ का,
अब तू मतकर भूल।
चित्त हुआ गलवान घाटी में,
चूर हुए अरमान।
तन पे माँ का आँच न आये,
हमको है अभिमान।।
हिंद के रक्षक वीर सिपाही,
देते हैं बलिदान।
तन पे माँ का आँच न आये,
हमको है अभिमान।।
लद्दाख शियाचिन अपना है,
भारत माँ की शान।
इसकी खातिर मर मिट जाये,
सारा हिन्दुस्तान।
अरिदल से हैं रोज बचाते,
हिम के वीर-जवान।
तन पे माँ का आँच न आये,
हमको है अभिमान।।
हिंद के रक्षक वीर सिपाही,
देते हैं बलिदान।
तन पे माँ का आँच न आये,
हमको है अभिमान।।
चाहे संकट कितने आयें,
हर-पल हम तैयार।
साहस-शौर्य भरा है हममें,
आयुध भी तैयार।
भारत वीरों की धरणी है,
गाथा बडी महान।
तन पे माँ का आँच न आये,
हमको है अभिमान।।
हिंद के रक्षक वीर सिपाही,
देते हैं बलिदान।
तन पे माँ का आँच न आये,
हमको है अभिमान।।