Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sudha Singh 'vyaghr'

Others

5.0  

Sudha Singh 'vyaghr'

Others

हे शीर्षस्थ घर के मेरे

हे शीर्षस्थ घर के मेरे

1 min
406


हे शीर्षस्थ घर के मेरे

लखो तो

टूट टूट कर सारे मोती

यहाँ वहाँ पर बिखर रहे


कोई अपने रूप पर

मर मिटा है स्वयं

किसी को हो गया

परम ज्ञानी होने का भ्रम

किसी को अकड़ है कि

उसका रंग कितना खिला है

किसी को बेमतलब का

सबसे गिला है


न जाने सबको कैसा

कैसा दंभ हो गया है

एकता के सूत्र को

हर कोई भूल गया है

विस्मृत है सब कि छोटे

बड़े सब मिलकर

एक सुन्दर सा हार बने थे

जो इस प्यारे से कुल का

प्यारा अलंकार बने थे

ख़ुशियों के दौर में

हृदय से हृदय सटे थे

किन्तु आह्ह....

क्यों सद्यः वे अपने ध्वनि

शरों से दूजे को वेधने डटे हैं


न जाने उन्हें किस ठौर जाना है

क्या अभिलाषा है, उन्हें क्या पाना है

अंत में जब सब-कुछ, यहीं छोड़ जाना है

फिर क्यों किसी से शत्रुता, क्यों बैर बढ़ाना है


लखो तो...

हे शीर्षस्थ घर के मेरे

फिर से आखिरी प्रयास करो ...


रेशमी लगाव में एक बार फिर से उन्हें गुथो..

आशाओं की डोरी से कसकर बांधो..

कभी पृथक न हो इतनी सुदृढ हो गांठें

माला का विन्यास लावण्य मनोहारी हो यों

कि वे अपने नवरूप पर लालायित हो उठें


लखो तो..

एक बार लखो तो...

हे शीर्षस्थ घर के मेरे

फिर से आखिरी प्रयास करो..



Rate this content
Log in