हे माँ वरदान दो
हे माँ वरदान दो
हे माँ करूंगी निराहार व्रत,
तुम मेरी अर्जी मान लो,
गर्भ में पल रही हर बेटी को
दुनिया में आने का वरदान दो,
फूलों से भी नाज़ुक कलियों की
रक्षा का हमें दान दो,
बेटियों के बिन दुनिया चल ना पाएगी,
ऐसा सबको ज्ञान दो,
हे माँ वरदान दो।
हे माँ अखण्ड दिया जलाउंगी मैं,
तुम मेरी अर्जी मान लो,
दहेज के लिए ना मारी जाएं,
बहुओं को सभी हक़ प्रदान हों,
बेटी भी दो और धन भी दो,
ऐसे सौदों का विनाश हो,
नारी अपनी रक्षा कर सके,
ऐसी शक्ति का हमें दान दो,
हे माँ वरदान दो।
हे माँ रोज़ भोग लगाउंगी मैं,
तुम मेरी अर्जी मान लो,
जो कर रहे हैं नारी का
अपहरण और चीर हरण,
जो नहीं समझ पा रहे
नारी को बेटी और बहन,
ऐसी कुदृष्टि रखने वालों के
तुम प्राण लो,
हे माँ वरदान दो।
हे माँ लाल चुनर ओढ़ाउंगी मैं,
तुम मेरी अर्जी मान लो,
जब भी माँ हम तुम्हें पुकारें,
तुम रक्षा करने आ जाना,
डर लगता है, जानकर तुम्हें नारी,
तुम पर भी ना वार हो,
लेकर हाथों में तलवार,
दोषियों को मौत के घाट उतार दो,
है माँ वरदान दो।