Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

अमित प्रेमशंकर

Others

4.5  

अमित प्रेमशंकर

Others

हे धरती माँ हे धरती माँ लौटा दे मेरी सीता को

हे धरती माँ हे धरती माँ लौटा दे मेरी सीता को

1 min
285


हे धरती माँ,हे धरती माँ

लौटा दे मेरी सीता को।।

छिन्न भिन्न मैं कर डालूंगा

तेरी सारी सृष्टि को

टुकड़े टुकड़े कर डालूंगा

नभ,जल थल संग वृष्टि को

लेकर ऐसे जा नहीं सकती

मेरे प्राण प्रीता को

हे धरती माँ,हे धरती माँ

लौटा दे मेरी सीता को।।

क्या करेगा राम अकेला

कैसे ये जी पाएगा

कैसे अपने सीता के बिन

अश्रू को पी पाएगा।

मुझसे-अलग तू ना कर माते्

मेरे कंत वनिता को

हे धरती माँ,हे धरती माँ

लौटा दे मेरी सीता को।।

मैं भी अपने प्राण तजुंगा

दशा मेरी कुछ ऐसी है

मन की पीड़ा मन की व्यथा

सुन माँ मेरी कैसी है

तड़प तड़प कर मर जाते हैं

जैसे मीन सरिता को

हे धरती माँ हे धरती माँ

लौटा दे मेरी सीता को।

हे धरती माँ हे धरती माँ

लौटा दे मेरी सीता को।।



Rate this content
Log in