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Kumar Ritu Raj

Children Stories Action Children

4.7  

Kumar Ritu Raj

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हौसले

हौसले

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क्यों ? तुझे क्या कहूं ? तेरे कार्य भी निराले हैं

चींटियों को उठा आसमान तक लाने का,

ख़्वाब तूने पाले हैं

तेरी शरणों में जो आया,

आज वो इतिहास रचने वाले हैं


क्यों ? तुझे क्या कहूं ?

जब हम खुद से हारे होते हैं, किस्मत के मारे होते हैं

दो पल आगे बढ़ना भी, पहाड़ माने होते हैं

बस तेरे दो पल आने से, इतिहास बदल कर रहते हैं

क्यों ? तुझे क्या कहूं? तेरी कार्य भी निराले हैं


जब सासें थमने वाली हो, सामने अंधियारी हो

हमसे कुछ ना होगा, ये मन ने मानी हो

बस तेरे दो पल आने से, लगती हैं जैसे अपनी बारी हो

हौसले क्यों ? तुझे क्या कहूं ?


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