हैरान क्यूँ है?
हैरान क्यूँ है?
1 min
27
अब हर दिन तो है छुट्टी का दिन
फिर क्यों नहीं शराब पे चखना होता,
नहीं सजती क्यों महफ़िल यारों की
जब घर ही पे तो है रहना होता
हवा तो आज कल साफ है ना
फ़िर चेहरे पे बांधे रुमाल क्यूँ है!!
अपनी ही करनी पर हे कलयुगी मानव
आख़िर तू इतना हैरान क्यूँ है?
