गऊमाता
गऊमाता
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मेरे घर मे थी एक गाय ,
सुन्दर श्वेत बहुत मन भाय ।
बडी ही सीधी बङी ही भोली ,
सिर ना हिलाए मिले सो खाय।।
अमृत सरिस दूध देती वह ,
जो तन का है हितकारी ।
वास है जिसमे देवो का वह ,
अनुपम प्यारी गाय हमारी ।।
गाय की महिमा बङी निराली ,
वेद पुराण देव ऋषि जानी।
मानव बन आराध्य कृष्ण ने ,
महिमा विशद बखानी ।।
कहलाए गोपाल गाय को ,
आराध्या निज बतलाया ।
गाय की सेवा ही हरि सेवा,
सबको यह सन्देश सुनाया ।।