गुरु महिमा
गुरु महिमा
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गुरुवर उर से करूँ प्रणाम ।
जो पाए हम गुरु चरणों में, दे अनुभव शुचि धाम ।।
दिए ज्ञान की गंगा गुरुवर, बहती है अविराम ।
तिमिर छँटा है पावन मन है, वंदन आठों याम ।।
जले दीप से गुरुवर प्रतिपल, मग दिखलाना काम।
नहीं चाहते बदले में कुछ, नहीं ज्ञान का दाम।।
नहीं जगत् में गुरु सम दूजा, जन्म दिए गुरु-नाम ।
मेह नेह का ही बरसाते, बसे हृदय के ग्राम।।
