गुरु दर्शन
गुरु दर्शन
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कब से खड़ा तेरे द्वार हे! गुरुवर सुन लो अरज हमारी
इन अँखियन से तुमको निहारूँ, छवी बसी है तुम्हारी।।
सुगम मार्ग प्रभु तुम दिखलाओ, संकट पड़ा है भारी।
मन विचलित है मौत के डर से, शरण पड़ा तुम्हारी।।
आयु पल- पल बीत रही है, जर्जर काया हमारी।
शेष बची जीवन की घड़ियां, पाने को कृपा तुम्हारी।।
देख भयानक मंजर दुनिया का, हमने तो हिम्मत हारी।
बचा लो इस डूबत नैया को, जगत के पालन हारी।।
तुम तो समाविष्ट हो कण- कण में,जानत दुनिया सारी।
" नीरज" तो गुरु दर्शन का प्यासा, सुन लो टेर हमारी।।