गुजरती हुई ओस
गुजरती हुई ओस
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एक नन्हे से पौध से गुजरती हुई ओस,
कह जाती है बहुत कुछ जीवन से।
जो पनपता है किसी,
एक पानी की बूंद से।
जो पनपता है किसी,
एक मिट्टी की परत के नीचे।
जो पनपता है किसी,
एक हल्की सी धूप में।
जो पनपता है किसी,
एक छोटे से हिस्से में।
जो भले ही रहता हो,
अंजान बनकर दुनिया में।
उसकी घनी छाया ही,
एक दिन बनती है उसकी पहचान।
एक नन्हे से पौध से गुजरती हुई ओस,
कह जाती है बहुत कुछ जीवन से।
