गुढी नवो साल की
गुढी नवो साल की
(पञ्चचामर / गिरिराज छंद)
गणावली-जभान राजभा जभान राजभा जभान गा
वाचिक मापनी- 12 12 12 12, 12 12 12 12
दयालु माय शारदा, सुबुद्धि भान देयदे |
मिटाव अंधकार ला, उजार ज्ञान देयदे ||
करो प्रमार वंश ला, खुसाल हंसवाहिनी |
गुढी उभारु पाडवा, करू वला सुवासिनी ||१||
गुढी प्रमार वंश की, सजावु आज रंगमा |
प्रमार रोज की खुसी, मनावु आज संगमा ||
उजार चैत पाडवा, उभी नवी गुढी करो |
नवा बिचार संगमा, सुधारनी कड़ी धरो ||२||
मिलेव आज राम ला, किरीट राजपाट को |
खुसी मनाव यादमा, मनाव साल थाट को ||
चलो सिहारपाठ ला, करो दिदार राम को |
मिले कृपा सपा सरे, तनाव पूर्ण काम को ||३||
प्रसाद ब्रह्मदेव को, रचीस आज सृष्टि ला |
नमावु माथ प्रेम को, वको विसाल दृष्टि ला ||
भयेव सम्वता सुरू, विक्रामदेव राज को |
करूसु मान आज मी, प्रभू शकारि काज को ||४||
तिव्हार देविमाय को, मनाव आज पासना |
करो उपास शक्ति को, अना लगाव साधना ||
प्रमार माय कालिका, करूसु आज प्रार्थना |
सुखी करो समाज ला, करो कबूल याचना ||५||