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Suresh Sachan Patel

Others

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Suresh Sachan Patel

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गर्मियाॅ॑

गर्मियाॅ॑

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पेड़ पर पतझड़ हुआ है,आ गई हैं गर्मियाॅ॑।

लड़खड़ाते क़दमों से देखो,जा रही हैं सर्दियाॅ॑।


वृद्ध काया में हुआ है,खून का संचार फिर से।

सिकुड़ी हुई अस्थियों में,आ गया जोश फिर से।

तन गई हैं आज फिर से,मुरझाई हुई धमनियाॅ॑।

पेड़ पर पतझड़ हुआ है,आ गई हैं गर्मियाॅ॑।


काॅ॑पते थे शीत से,पवन,पुष्प पल्लव,सभी।

शीत से दुबके हुए थे,धरती के प्राणी सभी।

आ गई है आज देखो,दिल में उनके नर्मियाॅ॑।

पेड़ पर पतझड़ हुआ है,आ गई हैं गर्मियाॅ॑।


मुस्कान कलियों में है आई,फूल भी हॅ॑सने लगे,

नव कल्प कोमल डाल पर,फिर से इठलाने लगे।

तितलियाॅ॑ भी आ गईं हैं,देखो बागों के दरमियाॅ॑।

पेड़ पर पतझड़ हुआ है,आ गई हैं गर्मियाॅ॑।


आम की मंजरी से देखो,आ रही खुशबू सुहानी।

बहुत भाता है कल कल करता, नदिया का पानी।

भ्रमरों का गुॅ॑जन मधुर,लेकर आई देखो गर्मियाॅ॑।

पेड़ पर पतझड़ हुआ है,आ गई हैं गर्मियाॅ॑।.


हरी भरी फसल अब,पक कर पीली पड़ने लगी।

किसानों के चेहरे पर, अब मुस्कान दिखने लगी।

किसानों के घर में लाई है,खुशहाली अब गर्मियाॅ॑।

पेड़ पर पतझड़ हुआ है,आ गई हैं गर्मियाॅ॑।


       



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