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Kavita Verma

Others

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गर्म चाय

गर्म चाय

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गर्म चाय 

शाम की आहट मात्र से

शुरू होती है एक सुगबुगाहट

घड़ी की टिकटिक

बढ़ा देती है धड़कनें

वक्त हो चला है

जिसे टलना नहीं चाहिये

एक नियम से बंधा हो दिन

तो सुघड़ रहता है

इस नियम में

चाय का यह वक्त आभास देता है

एक अंतराल का

या कि दिन के उत्तरार्द्ध के प्रारंभ का

सबको गर्म प्याले ही भाते हैं जो 

कंपकंपाती ठंड में भर देते हैं ऊर्जा

या कि मार देते हैं भीतर की गर्मी को


चाय उबलने तक कप छन्नी बिस्किट

पूरी तैयारी के बाद

छनती है चाय

गर्मा गर्म कप थमाने के बाद 

बढ़ता हाथ रुक जाता है

प्यार भरी मनुहार या आदेश सुन

फिर दौड़ पड़ती है वह कि 

चाय का पूरा मजा आये सभी को

इसी में है उसकी तसल्ली

जिसे अकसर गटक लेती है वह 

ठंडी चाय के साथ।



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