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Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

Others

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Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

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ग़रीब

ग़रीब

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जब से मैं हो गया हूँ गरीब,

कोई दोस्त न रह गया करीब।

एक-एक कर सारे मुँह मोड़ लिए,

ईश्वर ने हाय यह कैसा दिया नसीब।।


मगर एक बात तो है,

गुरबत ने ऐसे ऐसे तजुरबे है दिए।

दौलत वाला चाहे जितनी दौलत लगा दे,

उन्हें यह तजुरबे कभी भी न मिले।।


सिखाया है इस गरीबी ने,

हमें दौलत की अहमियत।

और निखर कर आयी है,

इससे हमारी शख़्सियत।।


दो जून की रोटी का,

समझा हमने है महत्व।

सादगी भरा जीवन जीना,

और सदा रहना है कृतज्ञ।।


पर एक बात तो है गरीबी,

तू अस्थायी ही सदा रहना।

जीवन का पाठ पढ़ाकर,

जल्दी लौट चली जाना।।


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