गर्दिश में तारे सबको लग रहे हैं
गर्दिश में तारे सबको लग रहे हैं
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फिजां में ये फैली नमी बहुत
अपने लोग बुखार में पल रहे हैं।
तूफान में दिए जल रहे हैं
पर लोग हवा में पल रहे हैं।
ए सूरज गर्मी कम रखना
कुछ लोग नंगे पाँव चल रहे हैं।
उठ रही है लहरें बहुत ऊंची
इस सागर के तेवर बदल रहे हैं।
राह में बिखरे कांटे हैं बहुत
जमाने के पैर संम्भल रहे हैं।
सब को पहुंचना है मंजिल की ओर
शाम के दीपक घर मे जल रहे है।
हर एक को फिक्र है अपनी सेहत की
गर्दिश में तारे सबको लग रहे हैं।