घण्टी
घण्टी
भूरी के गले में छोटी सी घंटी किसने बांधी थी
घाड़न ने, अपने फटे खीसे से निकाल कर।
खो न जाये भूरी ! यही सोच कर बांधी होगी।
टन्न टन्न, पर भूरी खोने लगी।
चूहे भाग जाते, कुत्ते चौकन्ने हो जाते घंटी सुनकर
भूरी के अंदर की बिल्ली खो गयी।
घाड़न ख़ुश थी, भूरी अब कहीं नहीं जाती
घाड़न के साथ सुरक्षित महसूस करती।
मुझे हर बच्चे में भूरी दिखती है,
किसी के गले में सौ प्रतिशत की घंटी।
कोई गला इंजँनियर की घंटी लटकाये,
कोई डॉक्टर की घंटी से सजा।
मैं रोज़ लाइन लगाये भूरियों को स्कूल जाते देखता हूँ
तरह तरह की घंटियाँ गले में लटकाये।
अब कोई भी भूरी, भूरी नहीं रही
खेलती, नाचती, शिकार करती भूरी को हमने मार डाला,
अपनी इच्छाओं की घंटियां उनके गले में बाँध।
रंग बिरंगी तरह तरह की आवाज़ करती,
छोटी छोटी सी वज़नी घंटियाँ।
भूरी को बेजान बनाती घंटियाँ।