गांव
गांव
जैसा किताबों में दिखता है;
गांवों का माहौल भी तो
अब उतना अच्छा नहीं है,
हम अच्छे हों या न हों;
पर पड़ोसी किसी का
अब अच्छा नहीं है,
कहते हैं शहरों में;
कोई किसी का
रखता नहीं खबर है,
गांव भी तो;
अब ऐसे मामलों में
कहां शहरों से बेखबर हैं,
सुना था शहरों में;
होता एकल परिवार है
गांवों में भी अब तेज़ी से बढ़ रहा चलन है,
सब सोचते हैं;
संग रहने में अपना कभी
होता नहीं विकास है,
भाई भाई चाहते नहीं;
रहना अब साथ हैं
तेज़ी से बिखरते अब गांवों में भी परिवार हैं,
किताबें और चलचित्रों में;
होता होगा भाइयों में प्यार है
पर शहर हो या गांव कहीं दिखता नहीं प्यार है..!