एक संवाद कलम के साथ
एक संवाद कलम के साथ
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कलम तुम अपनी ताकत
कैसे दर्शाती हो ?
ऐसा क्या करती हो कि तुम
तलवार को भी हरा पाती हो।
जैसे चलती है तुम्हारी
जादू की छड़ी
हर पल, हर घड़ी।
जिसके हाथ में जाती हो
उसी की हो जाती हो ,
जो चाहे वह लिख जाती हो।
इतना सब तुम
कैसे कर पाती हो?
तुम हमें इतना कुछ
बिना बोले सिखाती हो।
क्योंकि तुम
सरस्वती माता की
हो अवतार,
ज्ञान तुम्हारा अपरंपार।
