एक शिक्षक का रोष
एक शिक्षक का रोष


आजकल कुछ बच्चों के मन में यह भावना भर गयी है कि हमारे पिता जी के दिये धन से शिक्षकों की रोजीरोटी चलती है.. और वे हमारे गुलाम हैं.. कुछ बच्चे तो केवल तभी तक शिक्षकों का सम्मान करते हैं, जब तक वे उन्हें पढ़ाते हैं और उसके बाद स्वयं को उनसे बड़ा समझने लगते हैं.. जिस देश में शिक्षकों का अपमान होता है, उसका उत्थान...
नहीं चाहिए शोहरत और दौलत
सदा सम्मान के वे इच्छुक हैं..
भूले से अपमान न करना उनका,
नित सिखा रहे जो शिक्षक हैं..
हैं वो भी बिल्कुल अपने ही जैसे,
परिवार का दायित्व उन पर भी ऐसे...
साथ में जाने कितने कुटुंब के बच्चे,
हर एक को पहचाने, जाने कैसे..
अगणित शिष्यों को अपना माने,
उनके ये हितैषी संरक्षक हैं...
भूले से अपमान न करना उनका,
नित सिखा रहे जो शिक्षक हैं...
उपहास का पात्र बनाते हैं कुछ,
कुछ शरमाते सम्मुख झुकने में...
गुरु अपमान पतन का कारण है,
यही कारण प्रगति के रुकने में..
समझ लो इतनी बात हमेशा,
वो भी तुम्हारे अभिरक्षक हैं..
भूले से अपमान न करना उनका,
नित सिखा रहे जो शिक्षक हैं..