एक शहंशा मैं तेरे दिल का,एक हुस्न की रानी तू
एक शहंशा मैं तेरे दिल का,एक हुस्न की रानी तू
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मैं जितना सब्र करता हूँ,तू उतना आजमाती है
बता ऐ, जिन्दगी मेरी, तू इतना क्यों सताती है
जमाने से चुरा कर रंग तुझमें भर तो दूँ,लेकिन
बङी खुदगर्ज है तू भी, हमें ही रंग दिखाती है
एक तुम्हारा मैं किस्सा हूँ, मेरी एक कहानी तू
तेरे दिल का मैं हिस्सा हूँ, मेरी एक निशानी तू
कुदरत की इस कायनात में दोनों ही मशहूर हुये
एक शहंशा मैं तेरे दिल का,एक हुस्न की रानी तू