दरवाज़े खटखटाते हैं
दरवाज़े खटखटाते हैं
अच्छा लगा एक पुराने दोस्त ने अचानक
हमारा दरवाज़ा खटखटाया,
और दोनों ने पुराने दोस्तों के साथ गर्मजोशी
से बिताये दिनों को याद किया I
बे झिझक, बे बेशऊर बातें करते थे और
सुनाते थे अपनी अपनी I
पर आज ना सुनने वाले पास हैं और ना
सुनाने-वाले साथ हैं I
हँसते थे कभी बे पनाह, बेपरवाह अन्दाज़ में
सारे एक साथ I
पर अब इस नए माहौल में मुस्कराने पर भी
लगाम हैI
क्योंकि अब हम अकेले नहीं अपने बच्चों और
बहु बेटियों के साथ हैंI
और अपने घर की तहज़ीब के मुहताज हैंI
तसल्ली कर लेते हैं अपने को खुलकर हँसते
हुए देखकर कभी धुँधली तस्वीरों में I
और ख़ुशज़दा हो जाते हैं उन सारी यादों को
फिर से जी कर तसव्वुर में।
जानते हैं दोस्ती के वह पुराने लम्हे फिर लौट
कर नहीं आएँगे I
क्योंकि अब जिंदगी में वैसे एतमादी दोस्त फिर
एक साथ नहीं जुट पाएंगे I
पंख हमारे अब भी फड़फड़ाते हैं पर वो हमें
दूर नहीं ले जा पाते हैं
घर पर ही सिमट कर रह जाते हैं क्योंकि अब
हम बहार अकेले नहीं निकल पाते हैं I
पर चलो कोशिश करते हैं, और एक बार फिर
वैसा ही ख़ुशनुमा माहौल बनाते हैं,
और अपने सारे पुराने दोस्तों के दरवाज़े खटखटाते हैंI