दोस्तों से जिंदगी
दोस्तों से जिंदगी
हसीं सी आ गई चेहरे पर मेरे
आज कविता लिखने के बहाने
कुछ कमीने दोस्त याद आ गए मेरे।
कमबख्त क्या दिन थे वो कॉलेज लाइफ के
डी. टी .सी बस का" स्टूडेंट पास " होना
और बंक मार के तिलक नगर घूम कर आना,,
सब लोगों का बराबर पैसे मिला ,
गोलगप्पे खाना।
सबने मिल एक प्लान बनाया,
छः रुपए के लालच के चलते
एन. सी .सी ज्वॉइन कर लिया
फिर तो हफ़्ते में दो दिन पार्टी।
जब कभी घर लेट पहुंचो तो
मां उतारती थी आरती,
हम लोग थे बेशर्म
कह देते थे आज फलाने फ्रैंड की ,
थी बर्थडे पार्टी।
आज कोई कहां, कोई कहां,
किसी का नहीं कोई अता पता,
ढूंढते हैं फेसबुक और सोशियल साईट पे
दिख जाए फिर कहीं कोई दोस्त कमीना।
लव यू दोस्तों , लव यू दोस्तों।