दोस्तों के इंतेज़ार में
दोस्तों के इंतेज़ार में
उन पुरानी गलियों में,
जहाँ कोई नहीं जाता,
मैं रहता हूँ अब वहां,
दोस्तों के इंतेज़ार में।
कि आखिरी दिन जो हम मिले,
कि फ़िर कभी ना मिले,
कि कपड़ों पर लिखे कभी ना भूल जाने के वादे,
आज भी स्कूल की वर्दी पर वैसे ही हैं,
पर क्या तुम वैसे ही हो, आज भी?
जब भी स्कूल के बच्चे आगे से निकल जाते हैं
तो देखता हूँ मैं उनमें अपना बचपन,
तुम्हारा बचपन,
क्योंकि तुम्हारे बचपन के बिना मेरा बचपन था ही नहीं।
मैं चाहता तो हूँ, हाथ उठाकर वैसे ही तुम्हें बुला लेना,
वैसे ही तुम्हारा फ़ोन नंबर मिला लेना,
पर मैं जानता हूँ वक्त के साथ लोग गैर ज़रूरी हो जाते हैं,
और मैं तुम्हारे जीवन में दखलंदाज़ी नहीं करना चाहता।
तुम नए दोस्त बना चुके हो,
कुछ ज़्यादा ज़रूरी लोग पा चुके हो,
नहीं मैंने तुम्हारे बाद किसी को वो जगह नहीं दी,
सच कहूं तो बेवफ़ाई सा लगा ऐसा करना।
सब आगे बढ़ गए हैं,
मैं पीछे रह गया हूँ,
तुम आने वाले कल की चिन्ताओं में मग्न हो,
मैं तुम्हारे साथ बिताया पुराना कल आज भी जी रहा हूँ।
उन पुरानी गलियों में,
जहाँ कोई नहीं जाता,
मैं रहता हूँ अब वहां,
दोस्तों के इंतेज़ार में।