दिवाली
दिवाली
अज़ान की आवाज़ से राम को याद किया
रोशनी के देवता को सूर्य नमस्कार किया
चिड़िया के कलरव से दिन का स्वागत किया
पानी के घड़ों को भर के उनका अभिवादन किया
चौखट पे माटी की खुशबू से घर महका दिया
चूल्हे पे मिठाई के स्वाद ने मन को सजा दिया
रंगोली बनाने में कुछ ज़्यादा वक़्त गुज़ार दिया
मौलवी साहब के आने से पहले उसे सवार दिया
सभी बच्चों में दीवाली की ईदी को बाँट दिया
शोर शराबे से बच्चों ने घर को मेरे सजा दिया
मिट्टी के दीयों ने आँगन में उजास फैला दिया
नए कपड़ों से तन-बदन को रोशन कर दिया
अपनों के साथ चंद इतवार मनाने का मौका दिया
दिवाली तूने मुझे फिर से जीना सीखा दिया।।
