दिल की व्यथा
दिल की व्यथा
1 min
301
अपनें दिल की व्यथा हम किससे कहें..
प्यार के नखरे हम उसके, आख़िर कितना सहें..
जो भी हुआ अच्छा हुआ
बीच अपने जो उससे दुरी बनी..!
भूल जाये वो हमें कुछ मलाल नहीं इसका
जी लेंगे हम अकेले जो अब रार है ठनी..!
इज़हार से रहा परहेज़ जब उसे
चाहकर भी दिल इक़रार क्या करता
बात कुछ बनने की दूर
तड़पकर मीन सा मैं मरता..!
जो हुआ बीच अपने सब अच्छा हुआ..