दिल की आवाज
दिल की आवाज
जमाना मेरे साथ भी गजब मजाक करता है!
दरवाजे बंद कर कर- कर के उम्मीदें ईजाद करता है!!
जरा सी भूल क्या हो गई मुँह मोड़ लिया उसने !
जिस हाशिये पे था खड़ा , वहीं अकेला छोड़ दिया उसने !!
मिले मुझे तेरे अलावे भी लाखों हसीं ! न किसी को मैंने फँसाना चाहा ,
न ही कोई मुझसे फँसी ! तेरे सिवा किसी की मुझे चाहत भी नहीं!
कई दिन हो गये मिलना तुझसे । मगर मेरे दिल को लगता है आयें मिलकर
तुझसे अभी - अभी ।
कोई मुझे याद करे या न करे मुझे कोई गम नहीं!
मैं किसी को हरपल स्मरण करूं क्या कम नहीं!!
तु मेरी आवाज भी ,अल्फ़ाज भी ।
प्यास भी तुम ,पानी भी तुम।
मैं जिस उम्मीद पे जी रहा ,मेरे जीवन का अंदाज भी तुम ।