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Minati Rath

Others

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धुंधला सा वह चेहरा

धुंधला सा वह चेहरा

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कुछ पल के लिए तो रुकजाओ

न साथ छोड़ो मेरा

ऐसे ही चलते रहो

जब तक न हो अंधेरा

है अगर यह सपना

तो कहीं टूट न जाए

है कोई यहां अपना

तो कहीं रुठ न जाए ।


धुंधला सा है जो चेहरा

उसे देख तो लूं एक पल

पर छाया है यह कोहरा घना

देखना है मुश्किल

फिर भी यह कैसी हलचल है

और क्यों है दिल पागल

यह कैसी अजब डोर है

अंजान जिसकी मंजिल !


इस अजब उलझन में

क्यों परेशान है यह दिल

कुछ पल के लिए तो रुकजाओ

मैं ढूंढ लूं इसका हल

क्या पता उस चेहरे में ही

छुपी हो मेरी मंजिल ।



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