धुआँ दिलों में है
धुआँ दिलों में है
हर तरफ आग जल रही, धुआँ दिलों में है,
दिन जले, रात जल रही, धुआँ दिलों में है।
जो कभी साथ मनाते थे, ईद-ए-दिवाली,
वहाँ गीता, कुरान जल रही, धुआँ दिलों में है।
वतन मेरा, जंग का मैदान बना जाता है,
हर तरफ मशाल जल रही, धुआँ दिलों में है।
जहाँ हिंदी-उर्दू नहीं, हिंदवी ज़बान होती थी,
वहाँ आवाज़ जल रही, धुआँ दिलों में है।
जहाँ की तहजीब के चर्चे, जहान भर में थे,
वहाँ मजाहमत है पल रही, धुआँ दिलों में है।
हम-वतन है हम, सदियों का साथ है अपना,
क्यों अवाम जल रही, धुआँ दिलों में है?
मायूस हो 'श्वेता', पूछती हिंदू- मुसलमानों से,
क्यों कायनात जल रही, धुआँ दिलों में है?
