Shraddhanjali Shukla
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आँखों देखा झूठ है, कान सुने है झूठ।।
जो सच बयाँ करूँ कभी, अपने जाते रूठ।।
अपने जाते रूठ, खेलते खेल निराले।
पल पल देखो यार, नए दे रहे हवाले।
जाने हम हर राज, अजी वो किस्से लाखों।
कर देते हैं राज, बयाँ वो आँखों आँखों।
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