देखते देखते
देखते देखते
देखते देखते क्या से क्या हो गया
सोचा था कुछ और कुछ और हो गया
ख्वाब सजाये थे हज़ारो प्यार की राहो पर
हर ख्वाब हमारा चकनाचूर हो गया
ताने सुन सुन कर कट रही है जिंदगी
और हम चुप चाप खड़े रहते है
देखते देखते क्या से क्या हो गया
खामोश रहती है जुबान हर सवाल पर
आँखों के आंसू भी खामोश है अब तो
कलम का एक सहारा मिल गया
कभी पढ़ी ना होगी कविता बरसो से
अब खुद ही बहुत कुछ बयान कर देते है
देखते देखते क्या से क्या हो गया
प्यार की राहे क्या क्या दिन दिखाएगी
ये कौन भला जान पाता है
चल पड़ता है खुशी खुशी
और गमो से रिश्ता जुड़ जाता है
बहुत धोखे मिलते है राहो पर फिर भी
चलता जाता है इंसान खुशी खुशी
देखते देखते क्या से क्या हो गया
