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देखा है
देखा है
देखा है
देखा है
अलग सा
न कभी दिखे हैं
न कहीं हुए थे
न ही बनेंगे किसी
की खातिर
हम ठीक हैं
यहाँ सबके बीच
आम से
हवा, पानी, धूप
धरा और
जरा आसमान से।
देखा है
अलग सा होना
खुद में अहंकार
ले लाता है
बाज़ दफ़ा अकेला
कर जाता है।
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