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Prangya Panda

Others

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Prangya Panda

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डर

डर

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मेरा डर बड़ा ही डरावना लगता है मुझे, 

अंदर ही अंदर खूब डराता है मुझे। 


अपनों को खोने का डर मेरी बहुत बड़ी कमज़ोरी है, 

रिश्ता अपनों से टूटने का डर मुझे बहुत सताता है। 


चाहे रिश्ता दोस्ती का हो या कोई और, 

हर एक रिश्ते को खोने का मुझे है डर। 


मुझे अपना सपना बहुत प्यारा है, 

कहीं मुझसे वो खो ना जाए मुझे उसका डर है। 


अपनों के नफरत से मुझे डर है, 

कहीं ये नफ़रत जिंदगी भर का ना बन जाए। 


हर एक रिश्ता बड़ा नाज़ुक होता है, 

जो संभाल नहीं पाता इसे वो खोता है। 


हमने किसी भी रिश्ते में कभी बेईमानी नहीं की, 

पर किसी ने आज तक हमें समझने की कोशिश ही नहीं की। 


जब भी हम कुछ बोलते हैं लोग उसको सही से समझते नहीं है, 

इलज़ाम हमारे ऊपर लगाकर हमेशा हमें निराश करते हैं। 


डर तो बहुत है पर हम दिखाते नहीं है, 

क्यों कोई भी हमारे ज़ज़्बात समझते नहीं है। 



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