डर के काले साये
डर के काले साये
डर के काले साये
डराते हैं मुझे
अजनबी से साये
पास आते है मेरे
कौन हैं ये,
क्यों ये मेरे पास आते हैं
कौन सा संदेश मुझे
ये देना चाहते हैं
भय आतंकित मन मेरा
संयम नहीं रख पाता
मैं अपने घर से ही
भागने फिर लग जाता
घर भी नहीं सुरक्षित
मेरा, डर के सायों से
बाहर भी जाऊं तो मन
डरता है गैरों से।
यम के दूत तो आते है
यम काल के वक़्त
ये कौन साये है जो मुझको
घेर लेते हैं बेवक़्त।
कहीं कोई पिछला ये मेरा
कुकर्म तो नहीं है
या कह दो कि मन का मेरे
सिर्फ वहम ये नहीं है
जो भी हो इस साये से मुझको
छुट्टी कोई दिलवा दो
वरना मैं पागल हो जाऊंगा
मुक्ति मुझे इससे दिलवा दो।
