Gulab Jain
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रात-दिन बस दौलत कमाता है आदमी
फिर भी लोभ कम न कर पाता है आदमी।
रुपयों की चकाचौंध से अँधा हो कर,
जिंदगी भी दांव पे लगाता है आदमी।
मुक़ाबला मुश्...
आँखों से बयां...
हसीन लम्हें.....
भर-भर के जाम ...
धड़कनें थमीं ...
दीपक और तूफ़ा...
कितने मजबूर य...
प्रेम के फूल....
स्वप्निल-सी भ...
निबाह ख़ारों स...