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Archana Saxena

Others

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Archana Saxena

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चलो होली खेलें

चलो होली खेलें

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फागुन की मस्ती में होकर मस्तानी

कोयल ने छेड़ा है राग रे

अँबियो के गुच्छों में छुप कर है बैठी

कुहू कुहू बोले जैसे साज रे

फूलों की गलियाँ फिर से सजी हैं

भँवरों की गुनगुन में गीत है

चारों दिशाओं में बिखरी है खुशबू

हर ओर बजता संगीत है

कान्हा खेलें राधा संग ब्रज में होली

गोपियाँ रास रचा रहीं

राधा रानी की चूनर उड़ी जाये

सर से लो सरकी जा रही

अबीर गुलाल की छटा है बिखरी

रंगों की छायी बहार रे

भर पिचकारी कन्हैया ने मारी

सररर छोड़ी फुहार रे

राधा ने कैसे आँखे तरेरीं

खेलूँगी होली लठमार रे

कान्हा की मुस्काती छवि है मनोहर

चेहरे पर डर वह दिखा रहे

दोनों हाथों से कानों को पकड़ा

मंद मंद मुस्का रहे

होली है होली है रंगों की टोली है गीत सभी यही गा रहे

चलो हम भी घूमें मस्ती में झूमें रंगों की छोड़ें फुहार रे

समां ये होली का कितना सुहाना

हम सब मनायें बार बार रे!



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