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Kavita Sharrma

Others

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Kavita Sharrma

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छवि

छवि

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आजकल मुखौटों का है कुछ चलन

किस पर यकीन अब करें हम

चिकनी चुपड़ी करके बातें

बनाकर छवि बेदाग अपनी 

ये आजकल के मतलबी साधु बाबा

ठगते हैं मासूम भोले भाले लोगों को

चंदे,दान के नाम पर ऐंठकर उनका पैसा

रहते हैं खुद कितने ऐशो आराम से

ज़रा पूछो कोई इनसे कितनी की है इन्होंने भक्ति

बस हैं ऊपर ऊपर से बाबा जी भीतर इसके दग़ाबाज़ी।


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