छाया मत छूना
छाया मत छूना
कहते हैं
छाया मत छूना
दुख होगा दूना।
मन है कि मानता नहीं
जितना भूलना चाहूँ
उतना याद दिलाता।
माँ-पापा...
आपके बिना
कुछ अच्छा नहीं लगता
सब काम हो रहे हैं
पर पहले से नहीं।
हर बात आप से शुरू
आप से खत्म...
जानती हूँ...
वहाँ जानेवाले
लौटकर नहीं आते
पर पता नहीं क्यों!!!!
हर पल, हर जगह
आपका एहसास है
हम सब में कुछ न कुछ ऐसा
जो आपसे मिलता जुलता
चाह कर भी निकाल नहीं पाती
स्वर्णिम अतीत को
जानती हूँ आप मेरी पहुँच से परे हैं
फिर भी देखती रहती हूँ तारों को
इंतज़ार करती हूँ टूटने का
माँगती हूँ विश
मेरे सपनों में आओ माँ-पापा
सोना चाहती हूँ
आपकी गोद में सिर रख कर।
