चेहरे पर चेहरे है।
चेहरे पर चेहरे है।
चेहरे पर चेहरे है..
यहां हर शख्स मुखौटा पहने है...
जुबां पे मोहब्बत और लफ्ज़ चासनी में डूबे है..
मगर दिल में नफ़रत और दिमाग़ में साजिशें है..
मुंह पर इज्ज़त और बेइंतहा मोहब्बत लुटाते है..
मगर पीठ पीछे बेइज्जत और बेआबरू करते है..
दोस्ती की आन में दुश्मनी किए बैठे हैं..
भरोसे के लिहाफ में धोका लिए बैठे है..
इसकी उससे कहते है और उसकी इससे कहते है..
बनकर हमदर्द एक दूसरे का किरदार खोद देते है..
बड़ी बेदर्दी से बेअदब शब्दों से दर्द बोते है..
खुदगर्जी से फिर सींच देते है..
फसल दर्द की काटने को मजबूर छोड़ देते हैं...
हमदर्दी की आन में बड़ी खुदगर्जी से बेदर्दी लिए बैठे है..
चेहरे पर चेहरे है..
यहां हर शख्स मुखौटा पहने है।
