चाय और मैं
चाय और मैं
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मैं और मेरी चाय,तनहाई में साथ निभाये
पाकर जिसे मेरे रूह तक करार आये,
जिसके होने के एहसास से ताजगी बढ़े,
थकान पल भर में ये जिंदगी की मिटाये।
आपस में मिलकर दुनिया जहान भुलाये,
साँवले रंग से इश्क चाय एहसास दिलाये,
निखरू चाय की तरह संघर्ष करके सदा,
उबलती हुई यह चाय मुझको सिखाये।
जिंदगी में मिठास हो तो हर मन भाये,
इलायची सी खुशबू गुण की सबको महकाये,
अदरक की तरह कूटकर हम सदा ही,
और ज्यादा जीवन में महत्ता अपनी बनाये।
जीवन में चाय हो संग हो एक एहसास,
ख्वाबों में बसे जो वह है बहुत ख़ास,
चाय को अधरों से लगा उसको करीब पाऊँ,
दिल की लगी कैसी न बुझती ये प्यास।