चांदनी
चांदनी


चाँद तेरी चांदनी का इंतजार है हमें,
ईद से पहले का दीदार दे हमें,
भूलकर भी तुमसे जुदा ना होंगे,
उन लम्हों पर ऐतबार है हमें।
बगावत ना करना यूँ बागी बनकर,
शराफत ना करना यूँ शरीफ बनकर,
तिजारत ना करना यूँ मुर्शिद बनकर,
तेरी हर अदा करती है बेकरार हमें।
बहकते मौसम का रुख बदल सकता है,
बरसो की जंग का हल निकल सकता है,
चाहे बंटवारा कर दे सरहदों का, तो कुछ गम नहीं,
पर दिलों में बहती प्यार की गंगा स्वीकार हैं हमें।
हमसफ़र, हमनशी, हमसाया से क्या कहें,
तेरी ख़ामोशियां भी तूफ़ान लाती है क्या कहें,
धड़कनों की हैसियत से पनाह दे हमें,
ऐ नाचीज़ तेरा बेइंतहा इंतजार हैं हमें।
चंद पैसों के खातिर जिंदगियां उजाड़ दी इस ज़माने ने,
किसी को खामोश किसी को मदहोश बना दिया इस पैमाने ने,
वाकई उल्फ़त का खंजर बड़ा ही तेज़ है,
पर फिर भी सीने पर वार इज़हार है हमें।
बगैर तेरे ना मनेगा जश्न-ए- ईद मेरा,
ना पूरी होंगी मेरी इबादत, ना पूरा होगा त्योहार मेरा,
अकबर तेरी राहों में बिछ चुका है फूलों की तरह,
बस अब मिलन-ए-ईद करती है बेकरार हमें।
तसव्वुर रहे ख्वाबों में तेरी अदाओं का,
सुरूर बना रहे तेरी मदहोश हुस्न-ए- फिज़ाओं का,
और गुरूर है मुझको मेरी मोहब्बतें चांदनी पर,
उसे देख कर लगता है कोई दिलदार है हमें।