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Sri Sri Mishra

Others

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Sri Sri Mishra

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चांदनी रात

चांदनी रात

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कैसे हो सकती है वो रात भयानक....

जिसमें जुगनू सितारे सिमटते होअचानक....

हो रूबरू चांँद अपनी रोशनाई से.....

ग़ज़लें सुनता है नीले आसमां से....

झिलमिल सितारे झाँकते हैं रेशमी घूँघट से....

किस्से बयां करते हैं उस फ़लक की इस जहांँ से।



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