चाँद
चाँद
कैसा था वो पहला चाँद
तेरा मेरा सबका चाँद
सबसे पहले आसमान में
किसने देखा होगा चाँद
मुझको तन्हा देखे तो
हो जाये है ख़ुद तन्हा चाँद
वो मुझको मैं उसको कहते
दोनों अपना अपना चाँद
जाने कितने सपने ले के
छत पे आता जाता चाँद
माँ गोदी में लोरी दे के
रोज़ दिखाती मामा चाँद
कितने रूप धरे दिखता है
दूध के रंग का सुंदर चाँद
हर बिरहन को लगता है ये
अपने कासिद जैसा चाँद
मुफ़लिस के बच्चों से पूछो
रोटी जैसा दिखता चाँद
रात रात भर बाहर भटके
मुझ जैसा आवारा चाँद
एक अंधेरी चौखट बोले
‘दीपक’ जैसा होगा चाँद