बस्ता
बस्ता
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टांग बचपन चल रहा हर रोज़ ये बस्ता,
बन रहा है कांधे पर अब बोझ ये बस्ता!
हाँफता चल रहा बचपन लेकर किताबें,
रखे नहीं बचपन से दिल-सोज़ ये बस्ता!
डिब्बा खाने का और लिखने का बक्सा,
अब न रहा यूँ देखिये कमरोज़ ये बस्ता!
थककर आते और गिर जाते बिस्तर पर,
देखता, थकता बचपन हर रोज़ ये बस्ता!
