बसंत ऋतु
बसंत ऋतु
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खिलती सरसों खेत में, धरती ले नव रूप।
खिली खिली है शाम भी, खिले सुहानी धूप।
बसंत ऋतु भाये पिया,आए तेरी याद।
मिलने की है लालसा, दर्शन की फरियाद।
देखो जौ लहरा रही, बाग खेत खलिहान।
आकर बैठो साथ में, बढ़े प्रीत की शान।
साफ गगन अरु धूप है, ले आया संदेश।
आज पिया तुम मान लो, मौसम का आदेश।
ऐसे मौसम में पिया, करो नहीं तकरार।
छोड़ गिले शिकवे सभी, कर लो बातें चार।
