बसन्त बहार
बसन्त बहार
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विविध विविध रूप,
रंग भर आनन में,
नवल उमंग भर,
आ गयी बहार है।
नव नव किसलय,
कंचन कनक सम
गोधूम बालियाँ सजी
करती श्रृंगार है।
गुलदाउजी मोगरा
महके है गेंदा संग
ढाक है दहक रहा
फूली कचनार है।
रूप ये अनूप देख
मन हुआ चंचल ये
प्रमुदित हर्ष भर
सारा संसार है।
