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Aditya Srivastav

Others

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Aditya Srivastav

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बस रोता नहीं हूँ

बस रोता नहीं हूँ

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हम लाख सम्भाले तो भी क्या,

हर बात का मुज़रिम होता मैं हूँ।

बन्द आँखों से भी सोता नही हूँ,

दर्द बहुत बस रोता नही हूँ।।


जज़्बात ये मेरे अपने हैं 

अल्फाज़ ये मेरे अपने हैं 

वो लोग भी मेरे अपने हैं 

जिनके जख्मों को धोता मैं हूँ

हम लाख सम्भाले तो भी क्या,

हर बात का मुज़रिम होता मैं हूँ।

बन्द आँखों से भी सोता नही हूँ,

दर्द बहुत बस रोता नही हूँ।।


उम्मीद पे बस ज़िंदा हूँ,

उम्मीदों से हारा हूँ

मुख्य धारा से कटा हुआ,

एक वीरान किनारा हूँ

अकेला हूँ ,बेचारा हूँ ,

मैं बस हालात का मारा हूँ

       

अब कहने को कुछ रहा नहीं

अपनों का भी भरोसा खोता मैं हूँ!

बन्द आँखों से भी सोता नहीं हूँ ,

दर्द बहुत बस रोता नहीं हूँ।।

हम लाख सम्भाले तो भी क्या,

हर बात का मुज़रिम होता मैं हूँ।


          



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