बोलो कौन हूं मैं ?
बोलो कौन हूं मैं ?
शीत - ताप, वर्षा - समीर, सब मैं सहता हूं,
घास- पात, झाड़ी – जंगल में ही रहता हूं।
हूं अत्यंत चतुर और वज़न में रुई फाहे सा हूं,
हिरन समान कुलांचे मारुं, उड़न परी हूं।
बोलो, कौन हूं मैं ?
केश हमारे बेहद कोमल, रखवाले हैं मेरे,
क़दम दर क़दम यद्यपि ख़तरे मुझको रहते घेरे।
बड़े जानवर पल भर में हैं मुझको ग्रास बनाते,
ललचाई आंखों से हर पल निगरानी हैं करते।
बोलो कौन हूं मैं ?
बच्चे प्यार से मुझको अपने पास बुलाते,
अपने नाज़ुक कर कमलों से हैं सहलाते।
चुनकर घास -पात, फल लेकर पास में आते,
उछल कूद की मुद्रा से पुलकित हो जाते।
बोलो, कौन हूं मैं ?
"पिया " नाम की बच्ची जब मुझको पुचकारे,
सुबह सवेरे मेरा लेकर नाम पुकारे।
कान मेरे उसको लगते हैं बेहद प्यारे,
आँख में आंखे डाल सदा वह प्यार दिखाए।
बोलो, कौन हूं मैं ?
बरसों से सुनता आया हूं मैं फिर- फिर वही कहानी,
कछुआ संग थी दौड़ औ' मुझको बाजी पड़ी गंवानी।
घन घमंड में चूर हो मैंने की ऐसी मनमानी,
सबक मिल गया करुं कभी ना अब है मैने ठानी।
बोलो, कौन हूं मैं ?
उम्र बहुत ही कम पाई है यद्यपि यारों मैनें,
देखा करते रहते फिर भी खुशहाली सुख-सपने।
शांति, अहिंसा का प्रतीक ठहराया जग ने,
गिला शिकायत कभी कहीं ना किया किसी ने।।
बोलो, कौन हूं मैं ?
मैं ज़मीन से जुड़ा कुदरती तोहफा हूं,
बच्चों, मुझे बचाओ मैं तो "बच्चों का बच्चा" हूं।
गर जंगल ज़मीन यूं ही कटते गिरते जायेंगे,
हम सब नन्हे मुन्ने बोलो और कहां जायेंगे ?
बोलो कौन हूं मैं ?
अच्छा चलो बताए देता बच्चों अपना नाम,
चार अक्षरों में है सिमटा मुझ बंदे का नाम।
हल्की फुल्की घास सदा ही रहती अपने नाम,
बड़े जानवरों से बचना सदा है अपना काम।।
बोलो, कौन हूं मैं ?