बोझ ज़िन्दगी का ...
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दर्द का बोझा उठाए ज़िन्दगी को सहते हैं |
हों भले महरूमियाँ, फिर भी खुश रहते हैं |
दर्द का बोझा उठाए ज़िन्दगी को सहते हैं |
हों भले महरूमियाँ, फिर भी खुश रहते हैं |