बिना भेदभाव वाली होली
बिना भेदभाव वाली होली
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मुझको होली लगती बड़ प्यारी
ये ना किसी में भेदभाव करती
इस दिन ना कोई कहता
मैं गौरा तू काला
सब होते रंग बिरंगे
भांग के नशे में झूमे
कोई लाल तो कोई पीला
कोई हरा तो कोई नीला
हँसते गाते नाचते
एक दूसरे को गले लगाते
और मीठी गुझिया का स्वाद चखते
लेते पकौड़े, चाट के चटकारे
मुझको होली लगती बड़ी प्यारी।
